Vinod Rathod, Sneha Pant and पार्थिव गोहिल - Dabe Paon Se Woh

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दबे पाँव से वो, मारे गाओं आयवा
चिट्ठी ना विट्ठी, बंद थी मुट्ठी
दबे पाँव से वो, मारे गाओं आयवा
चिट्ठी ना विट्ठी, बंद थी मुट्ठी
मुट्ठी खुली तो, ये भेद खुल गया

हे हे अनदेखा अंजाना
चुपके से चोरी करके चला, ए हा

ए हा

हाय कल तक था बेगाना
वो अपना देखो बनके चला, ए हा

ए हा

हो अनदेखा अंजाना
चुपके से चोरी करके चला
कल तक था बेगाना
वो अपना देखो बनके चला

अनदेखा अंजाना
चुपके से चोरी करके चला
कल तक था बेगाना
वो अपना देखो बनके चला

हे हे अनदेखा अंजाना
चुपके से चोरी करके चला

ए हा

तक धिनक धिन धिनक धिन धिनक धिन

हमने तो कुच्छ भी ना देखा सुना (सुना)
दोनो ने खुद को कब कैसे चुना
आ हा हमने तो कुच्छ भी
ना देखा सुना
ना देखा सुना
दोनो ने खुद को
कब कैसे चुना

हा कैसे चुना
कानो कन कुच्छ खबर ना हुई

निकले सयाने
हे निकले सयाने सयाने सयाने
हे निकले सयाने ये सौ सौ गुना

गहरी चल थी वो
क्या क्या कमाल थी वो
चिट्ठी ना विट्ठी, बंद थी मुट्ठी
मुट्ठी खुली तो, ये भेद खुल गया

हे हे हे अनदेखा अंजाना
चुपके से चोरी करके चला
हे हा

संजोग ये हैं तकडीरो का
इसमे ना किसी की हैं कोई खता
संजोग ये हैं तकडीरो का
इसमे ना किसी की हैं कोई खता
बिना माँगे हमको मिला ये मोती
तुमको भी तो
तुमको भी तो हा तुमको हा तुमको
हे तुमको भी तो एक हीरा मिला

ये कहारवा, डोली को उठाओ (हुन नाका हुन्ना हुन नाका हुन्ना)
चिट्ठी ना विट्ठी, बंद थी मुट्ठी
मुट्ठी खुली तो, ये भेद खुल गया

हे हे हे हे हे हे हे हे
हे हे हे हे हे हे

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Written by:
ISMAIL DARBAR, MEHBOOB KOTWAL

Publisher:
Lyrics © Royalty Network

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Vinod Rathod, Sneha Pant and पार्थिव गोहिल

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