Kishore Kumar - Roop Ki Woh Taksaal Kahan Hai

हे हे आ हा
रूप की वो टकसाल कहाँ है
जहा से ढलके आई हो
रूप की वो टकसाल कहाँ है
जहा से ढालके आई हो
हे होंठ हज़ारो के लखो की आँखे लाई हो
ए जी क्या आँखे लाई हो
हे रूप की वो टकसाल कहाँ है

पलकों मे दो हीरे चमके
अंग से चाँदी बरसे
तुमसे दो बाते करने को
सारी दुनिया तरसे
हो जग भर की सुंदरता सारी
जैसे तुम्ही ने पाई हो
जग भर की सुंदरता सारी
जैसे तुम्ही ने पाई हो
हे होंठ हज़ारो के लखो की आँखे लाई हो
ए जी क्या आँखे लाई हो
हे रूप की वो टकसाल कहाँ है

शर्त है क्या तुमको पाने की
है हर शर्त गंवारा
मिलता हो तो बेचके खुद को
ले लू प्यार तुम्हारा
हो जैसे गगन पर सूरज है
तुम मेरे मन पे च्छाई हो
जैसे गगन पर सूरज है
तुम मेरे मन पे च्छाई हो
हे होंठ हज़ारो के लखो की आँखे लाई हो
ए जी क्या आँखे लाई हो
हे रूप की वो टकसाल कहाँ है
जहा से ढलके आई हो
हे रूप की वो टकसाल कहाँ है

Written by:
Indeewar, Sonik-Omi

Publisher:
Lyrics © Royalty Network

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Kishore Kumar

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