Mohammed Aziz and Kashmira - Main Tere Bin Jee Nahin Sakta
मैं तेरे बिन जी नहीं सकता
तू मेरे बिन जी नहीं सकती
क्यूँ के तू मेरे दिल की धड़कन बन गयी हैं
क्यूँ के तू मेरे दिल की धड़कन बन गयी हैं
और ये तन्हाई मेरी दुश्मन बन गयी हैं
मैं तेरे बिन जी नहीं सकता
तू मेरे बिन जी नहीं सकती
दे रही हैं सदाए
तेरी कसम ये सावन की घटाए
तू मेरी मोहब्बत हैं (मोहब्बत हैं)
जीने की हसरत हैं (हसरत हैं)
दे रही हैं सदाए
आजा ते हैं इंतेज़ार तेरा
क्यूँ के तू मेरे ख्वाबों की दुल्हन बन गयी हैं
क्यूँ के तू मेरे ख्वाबों की दुल्हन बन गयी हैं
और ये तन्हाई मेरी दुश्मन बन गयी हैं
मैं तेरे बिन जी नहीं सकता
तू मेरे बिन जी नहीं सकती
जाने ख़ता क्या हुई हैं
जानेमन क्यूँ तू खफा हो गयी हैं
ये कैसी दूरी हैं (दूरी हैं)
आख़िर क्या मजबूरी हैं (मजबूरी हैं)
जाने ख़ता क्या हुई हैं
तू ही तो हैं संसार मेरा
बिन तेरे ज़िंदगी गम का दर्पण बन गयी हैं
बिन तेरे ज़िंदगी गम का दर्पण बन गयी हैं
और ये तन्हाई मेरी दुश्मन बन गयी हैं
मैं तेरे बिन जी नहीं सकता
तू मेरे बिन जी नहीं सकती
क्यूँ के तू मेरे दिल की धड़कन बन गयी हैं
क्यूँ के तू मेरे दिल की धड़कन बन गयी हैं
और ये तन्हाई मेरी दुश्मन बन गयी हैं
मैं तेरे बिन जी नहीं सकता
तू मेरे बिन जी नहीं सकती
Written by:
NADEEM, SHRAVAN
Publisher:
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