Lata Mangeshkar - Ruke Ruke Se Qadam

रुके रुके से कदम रुक के बार बार चले
रुके रुके से कदम रुक के बार बार चले
क़रार लेके तेरे दर से बेक़रार चले
रुके रुके से कदम रुक के बार बार चले
रुके रुके से कदम

सुबह ना आयी कई बार नींद से जागे
सुबह ना आयी कई बार नींद से जागे
थी एक रात की ये ज़िंदगी गुज़ार चले
थी एक रात की ये ज़िंदगी गुज़ार चले
रुके रुके से कदम

उठाये फिर दे के एहसान दिल का सीने पर
उठाये फिर दे के एहसान दिल का सीने पर
ले तेरे कदमों पे ये क़र्ज़ भी उतार चले
ले तेरे कदमों पे ये क़र्ज़ भी उतार चले
क़रार लेके तेरे दर से बेक़रार चले
रुके रुके से कदम रुक के बार बार चले
रुके रुके से कदम

Written by:
Gulzar, Madan Mohan

Publisher:
Lyrics © Royalty Network

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Lata Mangeshkar

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