Shahe - Khafa

खफा है फ़ना है क्यूँ खुद से जुदा है
यूँ क्यूँ तू जाने ना
सूना है मन तेरा
सुनाए गुनाहें यूँ क्यूँ तू माने ना
बातों की रातों वाले बादलों से आगे जाना है जाना है
बेगाने ख्वाबों से जो वादें हैं वो क्यूँ निभाता है निभाता है
टूटा है झूठा है मन तेरा
रूठा है तू फिर क्यूँ हारे ना
दुआएँ यूँ आएँ के मंज़िल
मिल जाए तू जिस पर जाएगा
बातों की रातों वाले बादलों से आगे जाना है जाना है
बेगाने ख्वाबों से जो वादें हैं वो क्यूँ निभाता है निभाता है
अब भी कही साथ है तेरे
वो फ़ैसला जीने का
फिर क्यूँ तेरी बाहों मे जागे
मायूस वही शमा

Written by:
Mohit Satyam

Publisher:
Lyrics © O/B/O DistroKid

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Shahe

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