Shabbir Kumar and Lata Mangeshkar - Shaam Hai Kuchh Khoi Khoi

शाम है ये कुछ खोई खोई
दिल के दरवाजे पे कोई
दस्तक दस्तक दस्तक दे रहा है
दस्तक दे रहा है

शाम है ये कुछ खोई खोई
दिल के दरवाजे पे कोई
दस्तक दस्तक दस्तक दे रहा है
दस्तक दे रहा है

डर से मैं दरवाजा हा डर से मैं दरवाजा खोल ना पाऊ
शरम के मारे मैं कुछ बोल ना पाऊ
मेरी खामोशी को वो लब तक लब तक
लब तक दे रहा है
दस्तक दे रहा है

यही है क्या वो प्रेम प्यार की बाते
यही है क्या वो प्रेम प्यार की बाते
बीत गये कितने दिन कितनी रातें
नाम मेरा लेके आवाज़े अब तक अब तक
अब तक दे रहा है
दस्तक दे रहा है

क्या शाम मे क्या सुबह है क्या रातें
सुनी सुनी पहले थी सब बाते
क्या शाम मे क्या सुबह है क्या रातें
सुनी सुनी पहले थी सब बाते
आज मज़ा ये मौसम लेकिन

बेशक बेशक बेशक दे रहा है
दस्तक दे रहा है
शाम है ये कुछ खोई खोई

दिल के दरवाजे पे कोई
दस्तक
दस्तक
दस्तक दे रहा है (दस्तक दे रहा है)
दस्तक दे रहा है (दस्तक दे रहा है)
दस्तक दे रहा है (दस्तक दे रहा है)
दस्तक दे रहा है (दस्तक दे रहा है)

Written by:
Laxmikant Pyarelal, ANANDSHI BAKSHI, ANAND BAKSHI, KUDALKAR LAXMIKANT, PYARELAL RAMPRASAD SHARMA

Publisher:
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Shabbir Kumar and Lata Mangeshkar

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