Bhupinder Singh - Dekha Mujhe To

देखा मुझे तो शाम का
चेहरा उतर गया
चेहरा उतर गया
देखा मुझे तो शाम का
चेहरा उतर गया
लेटा हुआ था कब्र में
और दिन गुज़र गया
देखा मुझे तो शाम का
चेहरा उतर गया
चेहरा उतर गया
चेहरा उतर गया

आवाज़ गूँजती हुई
पाज़ेब की गयी
आवाज़ गूँजती हुई
पाज़ेब की गयी
आवाज़ गूँजती हुई
पाज़ेब की गयी
दरिया में तैरता हुआ
कोई भंवर गया
दरिया में तैरता हुआ
कोई भंवर गया
कोई भंवर गया
देखा मुझे तो शाम का
चेहरा उतर गया

जो शक्स हर गुनाह में
शामिल था मेरे साथ
जो शक्स हर गुनाह में
शामिल था मेरे साथ
जो शक्स हर गुनाह में
शामिल था मेरे साथ
हर रोज़ उठ के पूछता हूँ
वो किधर गया
हर रोज़ उठ के पूछता हूँ
वो किधर गया
वो किधर गया
लेटा हुआ था कब्र में
और दिन गुज़र गया
और दिन गुज़र गया
देखा मुझे तो शाम का
चेहरा उतर गया
चेहरा उतर गया
देखा मुझे तो शाम का
चेहरा उतर गया
चेहरा उतर गया
चेहरा उतर गया

Written by:
GURUMAA ANANDMURTI

Publisher:
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Bhupinder Singh

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