Jagjit Kaur - Tum Apna Ranjhogham Apni

तुम अपना रंज-ओ-ग़म अपनी परेशानी मुझे दे दो
तुम्हें ग़म की क़सम इस दिल की वीरानी मुझे दे दो
तुम्हें ग़म की क़सम इस दिल की वीरानी मुझे दे दो

ये माना मैं किसी क़ाबिल नहीं हूँ इन निगाहों में
ये माना मैं किसी क़ाबिल नहीं हूँ इन निगाहों में
बुरा क्या है अगर, ये दुख ये हैरानी मुझे दे दो
बुरा क्या है अगर, ये दुख ये हैरानी मुझे दे दो

मैं देखूँ तो सही दुनिया तुम्हें कैसे सताती है
मैं देखूँ तो सही दुनिया तुम्हें कैसे सताती है
कोई दिन के लिये अपनी निगहबानी मुझे दे दो
कोई दिन के लिये अपनी निगहबानी मुझे दे दो

वो दिल जो मैने मांगा था मगर गैरों ने पाया था
वो दिल जो मैने मांगा था मगर गैरों ने पाया था
बड़ी शय है अगर उसकी पशेमानी मुझे दे दो
बड़ी शय है अगर उसकी पशेमानी मुझे दे दो
तुम अपना रंज-ओ-ग़म अपनी परेशानी मुझे दे दो

Written by:
Khaiyyaam, Sahir Ludhianvi

Publisher:
Lyrics © Royalty Network

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Jagjit Kaur

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