Mohammed Rafi and कृष्ण केल - Ajab Teri Karigari Re Kartar

अजब तेरी कारीगरी रे करतार
अजब तेरी कारीगरी रे करतार
समझ न आये माया तेरी
समझ न आये माया तेरी
बदले रंग हज़ार
अजब तेरी कारीगरी रे करतार
अजब तेरी कारीगरी रे करतार

घरवाले ही घर से निकले
हो कर आज पराएं
घरवाले ही घर से निकले
हो कर आज पराएं
किसे दोष दे जब माली ही
अपना चमन जलाएं
माली अपना चमन जलाएं
तेरा कैसा ये संसार
अजब तेरी कारीगरी रे करतार
अजब तेरी कारीगरी रे करतार

किसकी नज़र इस घर को
बिखर चले सब तिनके
किसकी नज़र इस घर को
बिखर चले सब तिनके
मुरझाई है वो कलियां
खिलने के दिन थे जिनके
कोई यूं ना हो लाचार
अजब तेरी कारीगरी रे करतार
अजब तेरी कारीगरी रे करतार
समझ न आये माया तेरी
समझ न आये माया तेरी
बदले रंग हज़ार
अजब तेरी कारीगरी रे करतार
अजब तेरी कारीगरी रे करतार

Written by:
Ravi, Prem Dhawan

Publisher:
Lyrics © Royalty Network

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Mohammed Rafi and कृष्ण केल

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