Manthan Gupta, MNA and Aman Meena - Kho Hi Gaya [Acoustic Version]

खो ही गया उस फलक में
खो ही गया उस झलक में
भागना मुनासिब
रुकने की है यह ज़िद
चलता रोज़ाना
हुं आ में

अंजानी सी वो रटीएन
नफ़रत माँगने जाता
मिलता झूठा सच दर पे
फिर की याद तू आता
इंसान बहुत हस्ता है
जब खुदसे खफा होता है
मिलती दुनिया का धोखा
तब जाके फाना होता है
जी में चुका अब यहाँ पे
चल अलविदा अब यहाँ से
भागना मुनासिब
रुकने की है यह ज़िद
चलता रोज़ाना
हुं न में

Written by:
Manthan Gupta

Publisher:
Lyrics © O/B/O DistroKid

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Manthan Gupta, MNA and Aman Meena

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