Abnormal Thesis - Hasaye (feat. Rover Raps)

Abnormal Thesis
Rover
हर पल, हर लम्हा
दर पे मेरे
तू क्यों आके पनाह लेता?
हो तुम क्यों ख़ास मेरे
आये पास मेरे
मुझे खुद से मिलाने
लिखू तुम पे में एक दास्ताँ
पलकों पे सजा
बस है ये सपना
भीनी भीनी बारिश की तरह
बरसे तू यहाँ
बस है ये सपना
क्यों, जैसे टूटे सितारे
हौले से हसाये
एक झूटी लोरी बन के
जैसे हम को सुलाए
जैसे टूटे सितारे
हौले से हसाये
एक झूटी लोरी बन के
जैसे हम को सुलाए
टूटे सितारे
हमको सुलाए
हमको सुलाए
It's Rover taking the mic
Let's Do this
मैं मानता नहीं था
कुछ जानता नहीं था
वो बात ही गलत थी
जिसे मानता सही था
वो लकीरों का मंज़र ही साथ मैं नहीं था
जो मिलना है वो लिखा हाथ में नहीं था
I was knocking the door
जिन पे ताला नहीं था
यही तो गलत हुआ साला तरीका(गलत)
पूरी वो ताकत से लड़ना मैं भूला
और भूला की पहाड़ों का झरना मैं हूँ न
पैर रखा अंदर तो भय मेरे साथ
कहने का मतलब की रह मेरे साथ
बीता जो बीता अब उससे हम आगे हैं
दिन अच्छा करने को रातों में जागे हैं
जाने अनजाने में आ जाते आंसू
लम्बी हैं लाइन
I'm heading the que
हज़ारों ख़याल पर एक ही दिमाग
जो होना अब हो जाये सोचूं मैं क्यों?
जैसे टूटे सितारे
हौले से हसाये
एक झूटी लोरी बन के
जैसे हम को सुलाए
जैसे टूटे सितारे
हौले से हसाये
एक झूटी लोरी बन के
जैसे हम को सुलाए
कल जो हम हो खफा
चाहें जहा हो तू आके मना लेना
तुम जो थे साथ मेरे हाँ पास मेरे
बदले थे नज़ारे
जियुं फिर से मैं वो दास्ताँ
पलकों में छिपा
बस हैं ये सपना
ठंडी ठंडी चले फिर से हवा
आखों में छिपा
बस हैं ये सपना
क्यों, जैसे टूटे सितारे
हौले से हसाये
एक झूटी लोरी बन के
जैसे हम को सुलाए
जैसे टूटे सितारे
हौले से हसाये
एक झूटी लोरी बन के
जैसे हम को सुलाए
टूटे सितारे
हौले से हसाये
हा हा
हे हे
हम को सुलाए

Written by:
Rajat Srivastava, Rohan Verma

Publisher:
Lyrics © O/B/O DistroKid

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Abnormal Thesis

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