Mohammed Irfan - Gaaye Jaa [Male]

सूरज तेरा गर्दिश में है
ढ़लते हुए कह गया
फिर लौट के आऊंगा मैं
नज़दीक ही है सुबह
गाये जा, गाये जा
ग़म में है सरगम
गुनगुना ये धुन, गाये जा
गाये जा, गाये जा
रात के धागों से सवेरा बुन, गाये जा
गाये जा, गाये जा
ग़म में है सरगम
गुनगुना ये धुन, गाये जा

अपना ही अपना, क्यों कहलाया है
कैसे कोई तय करता है कौन पराया है
एक वही रिश्ता, तेरी कमाई है
दर्द के पल में, जिसने तेरा साथ निभाया है
टूटा हुआ तो क्या सितारा तू
किसी का बन सहारा तू

म्म
गाये जा, गाये जा
रात के धागों से सवेरा बुन, गाये जा
गाये जा, गाये जा
ग़म में है सरगम
गुनगुना ये धुन, गाये जा

हो.. आँखों में रखना, सपने तू कल के
तुझको लेकिन उन तक
जाना होगा खुद चल के
मझदारों से तू, हार नहीं जाना
साहिल तुझको पाना होगा लहरों में ढ़लके
है ज़िन्दगी वही जो चलती है
ये गिरके ही संभलती है

आ आ आ

Written by:
AJAY GOGAVALE, ATUL GOGAVALE, AMITABH BHATTACHARYA

Publisher:
Lyrics © Sony/ATV Music Publishing LLC

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Mohammed Irfan

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