Pravesh Nimbalkar - Aaarzoo Phir Uthi
आ आ आ आ
आरज़ू फिर उठी हैं हाल दिल सुंनने को
आआरज़ू फिर उठी हैं हाल दिल सुनने को
बाराए करम तुम अपना हाथ तो देदो
आआरज़ू फिर उठी हैं हाल दिल सुनने को
कितनी राहों से गुज़्रा हैं इश्स दिल का सफ़र
कोई मंज़िल मगर इश्स दिल को भाना सकी
लाख चाहो भी मदहोश फ़िज़्ज़व ने मगर
लाख चाहो भी मदहोश फ़िज़्ज़व ने मगर
कोई बदली किसी ज़ुलफ की छा ना सकी
मुदतो बाद इस दिल को सुकून तो मिले
मस्त ज़ुल्फोन की ये हसीन रात तो दे दे
बाराए करम तुम अपना हाथ तो देदो
आ आरज़ू फिर उठी हैं हाल दिल सुनने को
मेरे ज़ज़्बात मचलते हैं तुम्हारी यादों से
ख़याल तुम्हारा ही रहता हैं दिल के खानो में
हम सफ़र हम जो बने इश्क़ की राहो के
हम सफ़र हम जो बने इश्क़ की राहो के
नाम होगा हुमारा प्यार के दीवानो में
इलतज़ा इतनी सी हैं जानश तुम्हारे दिल से
अपने दीवाने को तुम साथ तो दे दो
बाराए करम तुम अपना हाथ तो देदो
आआरज़ू फिर उठी हैं हाल दिल सुनने को
Written by:
PRAKASH RAHULE AADAM, S. CHATURSEN
Publisher:
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