Alka Yagnik and Babul Supriyo - Jab Dil Churaya
जब दिल चुराए कोई अपना बनाये कोई
सपने दिखाए और हो जाए फिर जुदा
जब दिल चुराए कोई अपना बनाये कोई
सपने दिखाए और हो जाए फिर जुदा
चाहत के सब अफ़साने दिल जिन को सच ही माने
बन के वह रह जाते है एक अनसुनी सदा
हो क्यों देखके हुमंने चाहत के सपने
ये दिल सोचता है और रोता है ज़ार ज़ार
जब दिल चुराए कोई अपना बनाये कोई
सपने दिखाए और हो जाए फिर जुदा
ये दूरियां दिल की मजबूरियां दिल की
सच है मगर फिर भी माने न दिल मेरा
भीगी सी आँखों में सुनि सी राहों में
हम ले चले है कितनी यादों का कारवाँ हो
अब मैं ही मनन में दीवानेपन में
दिल सोचता है और रोता है ज़ार ज़ार
जब दिल चुराए कोई अपना बनाये कोई
सपने दिखाए और हो जाए फिर जुदा
जब दिल चुराये कोई
है हा हा हा हा हा
दिल में तमन्ना है दिल में ईरादे है
ख़्वाबों के मेले लेकर जाए भी तो कहाँ
कुछ तुम न कह सके कुछ हम न कह सके
जाने क्यों हो जाती है खामोश यह जुबां
क्या दिल को हो गया क्या दिल को खो गया
दिल सोचता है और रोता है ज़ार ज़ार
जब दिल चुराए कोई अपना बनाये कोई
सपने दिखाए और हो जाए फिर जुदा
चाहत के सब अफ़साने दिल जिन को सच ही माने
बन के वो रह जाते है एक अनसुनी सदा
Written by:
Pravin Bhardwaj, Raaj Anand
Publisher:
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