Jubin Nautiyal - Tu Hai Meri

तू है मेरी, मैं हूँ तेरा
क्या मांगू और मैं ज़िंदगी
तुम्हे छ्छूकर है लगने लगा
मेरे सीने में दिल है कहीं
नींदों में ख्वाब होते हैं
तुम्हें सोच के है जाना अभी
तू है मेरी, मैं हूँ तेरा
क्या मांगू और मैं ज़िंदगी

सब को मेरी आँखों से शिकवे हैं
क्यून्नकि तुझे ये देख सके हैं
सब को मेरी आँखों से शिकवे हैं
क्यून्नकि तुझे ये देख सके हैं
मुझ को जो तूने अपना कहा
लोग सारे मुझसे जलने लगे हैं
तू है मेरी, मैं हूँ तेरा
क्या मांगू और मैं ज़िंदगी
तुम्हे छ्छूकर है लगने लगा
मेरे सीने में दिल है कहीं
नींदों में ख्वाब होते हैं
तुम्हें सोच के है जाना अभी
तू है मेरी, मैं हूँ तेरा
क्या मांगू और मैं ज़िंदगी

Written by:
PRATYUSH PRAKASH, SHAYADSHAH SHAHEBDIN

Publisher:
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Jubin Nautiyal

Jubin Nautiyal

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