Talat Aziz - Woh Dil Ki Sada
वो दिल की सदा क्या समझेंगे
वो अर्ज़ ए वफ़ा क्या जानेगे
वो दिल की सदा क्या समझेंगे
वो अर्ज़ ए वफ़ा क्या जानेगे
बेसओज़ हैं जो पत्तर की तरह
नगमो का मज़ा क्या जानेगे
वो दिल की सदा क्या समझेंगे
वो अर्ज़ ए वफ़ा क्या जानेगे
जो सदा वार्ख हैं उनके लिए
अल्फ़ाज़ के जादू क्या मानी
जो सदा वार्ख हैं उनके लिए
अल्फ़ाज़ के जादू क्या मानी
बेगाने रहे जो ज़ख़्मो से
वो रंगे हीना क्या जानेगे
बेगाने रहे जो ज़ख़्मो से
वो रंगे हीना क्या जानेगे
बेसओज़ है जो पत्तर की तरह
नगमो का मज़ा क्या जानेगे
वो दिल की सदा क्या समझेंगे
वो अर्ज़ ए वफ़ा क्या जानेगे
जज़्बात तो दिल के मोटी हैं
यह मोटी जिनके पास नहीं
जज़्बात तो दिल के मोटी हैं
यह मोटी जिनके पास नहीं
जज़्बात तो दिल के मोटी है
यह मोटी जिनके पास नहीं
वो जोश ए तलब
क्या समझेंगे
तूफ़ा की अदा क्या जानेगे
वो जोश ए तलब
क्या समझेंगे
तूफ़ा की अदा क्या जानेगे
बेसओज़ है जो पत्तर की तरह
नगमो का मज़ा क्या जानेगे
वो दिल की सदा क्या समझेंगे
वो अर्ज़ ए वफ़ा क्या जानेगे
दुनिया में कोई तो ऐसा हो
खो जाए तो उसे ढूंडे हम
दुनिया में कोई तो ऐसा हो
खो जाए तो उसे ढूंडे हम
जब तक वो नहीं मिला पाएगा
हम अपना पता क्या जानेगे
जब तक वो नहीं मिला पाएगा
हम अपना पता क्या जानेगे
बेसओज़ हैं जो पत्तर की तरह
नगमो का मज़ा क्या जानेगे
वो दिल की सदा क्या समझेंगे
वो अर्ज़ ए वफ़ा क्या जानेगे
वो अर्ज़ ए वफ़ा क्या जानेगे
वो अर्ज़ ए वफ़ा क्या जानेगे
Written by:
IBRAHIM ASHK, TALAT AZIZ
Publisher:
Lyrics © Royalty Network
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