Asha Bhosle and Ustad Ghulam Ali - Dayar-E-Dil Ki Raat Mein
दयार-ए-दिल की रात में चरग सा जला गया
दयार-ए-दिल की रात में चरग सा जला गया
मिला नहीं तो क्या हुआ वो शकल तो देखा गया
दयार-ए-दिल की रात में चरग सा जला गया
जुदाई के ज़ख्म दर्द-ए-जिंदगी ने भर दिए
जुदाई के ज़ख्म दर्द-ए-जिंदगी ने भर दिए
तुझे भी नींद आ गई मुझे भी सब्र आ गया
तुझे भी नींद आ गई मुझे भी सब्र आ गया
मिला नहीं तो क्या हुआ वो शकल तो देखा गया
दयार-ए-दिल की रात में चरग सा जला गया
ये सुबाहो की सफेदियां ये दोपहर की जरदियां
ये सुबाहो की सफेदियां ये दोपहर की जरदियां
अब आने में देखता हूं मैं कहां चला गया
अब आने में देखता हूं मैं कहां चला गया
मिला नहीं तो क्या हुआ वो शकल तो देखा गया
दयार-ए-दिल की रात में चरग सा जला गया
वो दोस्ती तो खैर अब नसीब-ए-दुश्मन हुई
वो दोस्ती तो खैर अब नसीब-ए-दुश्मन हुई
वो छोटी छोटी राजिशो का लुत्फ भी चला गया
वो छोटी छोटी राजिशो का लुत्फ भी चला गया
मिला नहीं तो क्या हुआ वो शकल तो देखा गया
दयार-ए-दिल की रात में चरग सा जला गया
ये किस खुशी की रेट पर गामो को नींद आ गई
ये किस खुशी की रेट पर गामो को नींद आ गई
वो लहर किस तरह गई ये मैं कहां चला गया
वो लहर किस तरह गई ये मैं कहां चला गया
मिला नहीं तो क्या हुआ वो शकल तो देखा गया
दयार-ए-दिल की रात में चरग सा जला गया
दयार-ए-दिल की रात में चरग सा जला गया
Written by:
GHULAM ALI SH, NASIR KAZMI
Publisher:
Lyrics © Royalty Network
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