Ahmed Hussain and Mohammad Hussain - Dard Mein Doobi

दर्द में डूबी ज़िंदगी क्यूँ हैं
दर्द में डूबी ज़िंदगी क्यूँ हैं
घूम के साए में हर खुशी क्यूँ हैं
घूम के साए में हर खुशी क्यूँ हैं
दर्द में डूबी ज़िंदगी क्यूँ हैं

मेरा बचपन जहाँ पे बीता हैं
मेरा बचपन जहाँ पे बीता हैं
मेरे ख्वाबों में वो गयी क्यूँ हैं
मेरे ख्वाबों में वो गयी क्यूँ हैं
घूम के साए में हर खुशी क्यूँ हैं
दर्द में डूबी ज़िंदगी क्यूँ हैं

हर कदम साथ मेरे चल कर भी
हर कदम साथ मेरे चल कर भी
ज़िंदगी मुझसे अजनबी क्यूँ हैं
ज़िंदगी मुझसे अजनबी क्यूँ हैं
घूम के साए में हर खुशी क्यूँ हैं
दर्द में डूबी ज़िंदगी क्यूँ हैं

दर्द ओ घमो हर कदम पे मिलते हैं
दर्द ओ घमो हर कदम पे मिलते हैं
पर मसरत कभी कभी क्यूँ हैं
पर मसरत कभी कभी क्यूँ हैं
घूम के साए में हर खुशी क्यूँ हैं
दर्द में डूबी ज़िंदगी क्यूँ हैं

मैं मुकामल्ल समझता हूँ खुद को
मैं मुकामल्ल समझता हूँ खुद को
सोच में मेरी ये कमी क्यूँ हैं
सोच में मेरी ये कमी क्यूँ हैं
घूम के साए में हर खुशी क्यूँ हैं
दर्द में डूबी ज़िंदगी क्यूँ हैं

Written by:
MOHAMMAD HUSSAIN, USTAD AHMED HUSSAIN

Publisher:
Lyrics © Royalty Network

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Ahmed Hussain and Mohammad Hussain

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