Hariharan - Aandhiyaan

आँधियाँ अतिथि लेकिन
कभी ऐसा ना हुआ
आँधियाँ अतिथि लेकिन
कभी ऐसा ना हुआ
ख़ौफ़ के मारे जुड़ा
शाख से पत्ता ना हुआ
आँधियाँ अतिथि लेकिन
कभी ऐसा ना हुआ
आँधियाँ अतिथि

वक़्त की डोर को थामे
रहे मजबूती से
वक़्त की डोर को
थामेरहे थामे रहे
वक़्त की डोर को थामे रहे
वक़्त की डोर को थामे
रहे मजबूती से
और जब च्छुटी तो
अफ़सोष भी इस का ना हुआ
और जब च्छुटी तो
अफ़सोष भी इस का ना हुआ
आँधियाँ अतिथि

रात को दिन से मिलने
की हवस थी हमको
रात को दिन से मिलने
की हवस थी हमको
कम अचहच्छा ना था
अंजाम भी अचहच्छा ना हुआ
कम अचहच्छा ना था
अंजाम भी अचहच्छा ना हुआ
आँधियाँ अतिथि

खूब दुनिया है के सूरज
से रकबत थी जिन्हे
खूब खूब दुनिया है
के सूरज से रकबत
रकबत थी जिन्हे
खूब दुनिया है के
सूरज से रकबत
खूब दुनिया है के
सूरज से रकबत थी जिन्हे
उनको हाँसिल किसी देवार
का च्चाया ना हुआ
उनको हाँसिल किसी देवार
का च्चाया ना हुआ
आँधियाँ अतिथि लेकिन
कभी ऐसा ना हुआ
ख़ौफ़ के मारे जुड़ा
शाख से पत्ता ना हुआ
आँधियाँ अतिथि

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Kaash Kaash