Udit Narayan, Sunidhi Chauhan and निहार जोशी - Dhadak Dhadak
ये वर्ल्ड है ना वर्ल्ड
इसमें दो तरह के लोग होते हैं
एक, जो सारी ज़िन्दगी एक ही काम करते
और दूसरे जो एक ही ज़िन्दगी में सारे काम कर देते हैं
ये मैं नहीं, ये वो दोनों कहते थे
और कहते क्या थे, करते थे
और ऐसा करते थे, जैसा ना किसी ने किया
और न शायद कोई कर पाएगा
छोटे-छोटे शहरों से, खाली बोर दुपहरों में
हम तो झोला उठा के चले
बारिश कम-कम लगती है, नदियाँ मद्धम लगती है
हम समंदर के अन्दर चले
छोटे-छोटे शहरों से, खाली बोर दुपहरों में
हम तो झोला उठा के चले
बारिश कम-कम लगती है, नदियाँ मद्धम लगती है
हम समंदर के अन्दर चले
ओ हो हो हम चले, हम चले ओए रामचंद रे
ओ हो हो हम चले, हम चले ओए रामचंद रे
धड़क-धड़क, धड़क-धड़क
धुआँ उड़ाए रे
धड़क-धड़क, धड़क-धड़क
सिटी बजाये रे
धड़क-धड़क धड़क-धड़क
धुआँ उड़ाए रे
धड़क-धड़क, धड़क-धड़क
सिटी बजाये रे
ओहो ज़रा रास्ता तो दो
थोड़ा सा बादल चखना है
बड़ा-बड़ा कोयले से
नाम फ़लक पे लिखना है
चांद से होकर सड़क जाती है
उसी पे आगे जा के अपना मकाँ होगा
चांद से होकर सड़क जाती है
उसी पे आगे जा के अपना मकाँ होगा
हम चले, हम चले
धड़क-धड़क धड़क-धड़क
धुआँ उड़ाए रे
धड़क-धड़क धड़क-धड़क
सिटी बजाये रे
धड़क-धड़क धड़क-धड़क
धुआँ उड़ाए रे
धड़क-धड़क धड़क-धड़क
सिटी बजाये रे
छोटे-छोटे शहरों से, खाली बोर दुपहरों में
हम तो झोला उठा के चले
छोटे-छोटे शहरों से, खाली बोर दुपहरों में
हम तो झोला उठा के चले
बारिश कम-कम लगती है, नदियाँ मद्धम लगती है
हम समंदर के अन्दर चले
ओ हो हो हम चले, हम चले ओए रामचंद रे
ओ हो हो हम चले, हम चले ओए रामचंद रे
धड़क-धड़क, धड़क-धड़क
धुआँ उड़ाए रे
धड़क-धड़क, धड़क-धड़क
सिटी बजाये रे
धड़क-धड़क धड़क-धड़क
धुआँ उड़ाए रे
धड़क-धड़क धड़क-धड़क
सिटी बजाये रे
आ तो चले सर पे लिए
अम्बर की ठंडी फुन्कारिया
हम ही ज़मीं, हम आसमां
क़स्बा कस्मा नु खाये बाक़ी जहां
चांद का टिका, मत्थे लगा के
रात दिन तारों में, जीना-वीना इज़ी नहीं
चांद का टिका, मत्थे लगा के
रात दिन तारों में, जीना-वीना इज़ी नहीं
हम चले, हम चले
धड़क-धड़क
धुआँ उड़ाए रे
धड़क-धड़क धड़क-धड़क
सिटी बजाये रे
Written by:
GULZAR, SHANKAR MAHADEVAN, ALOYSUIS MENDONSA, EHSAAN NOORANI
Publisher:
Lyrics © Royalty Network
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