Ahmed Hussain and मोहम्मद हुसैन - Hai Charo Dishayen

है चारो दिशाएं सजीना
है चारो दिशाएं सजीना
आती हैं बहारे सावन में
सारंग के पापिहे ने च्छेदा
सारंग के पापिहे ने च्छेदा
कोयल ने मलहरे सावन में
है चारो दिशाएं सजीना

बरसात में मेले का आलम
बरसात में मेले का आलम
जुंगल में बिखरती हैं सरगम
बरसात में मेले का आलम
बरसात में मेले का आलम
जुंगल में बिखरती हैं सरगम
झूलो का तरन्नुम पेड़ो पर
झूलो का तरन्नुम पेड़ो पर
मॉरो की पुकारे सावन में
है चारो दिशाएं सजीना

हर चाल की रो में ताल मिले
उलफत की सदा होतो पे खिले
हर चाल की रो में ताल मिले
उलफत की सदा होतो पे खिले
जुंगल में उन्हें जैसे जुगनू
जुंगल में उन्हें जैसे जुगनू
घुलो की कतरे सावन में
है चारो दिशाएं सजीना

क्या फारके तबसुम क्या काजल
फाज़े तरन्नुम क्या पायल
क्या फारके तबसुम क्या काजल
फाज़े तरन्नुम क्या पायल
जुबारे घाटे लाती हैं
जुबारे घाटे लाती हैं
धरती पे उतरे सावन में
सारंग के पापिहे ने च्छेदा
सारंग के पापिहे ने च्छेदा
कोयल ने मलहरे सावन में
है चारो दिशाएं सजीना
है चारो दिशाएं सजीना
है चारो दिशाएं सजीना

Written by:
AHMED HUSSAIN, AMEEQ HANAFI, MOHAMMED HUSSAIN

Publisher:
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Ahmed Hussain and मोहम्मद हुसैन

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