Ghulam Ali - Ranj Ki Jab Guftgu Hone Lagi [Live]

रंज की जब गुफ्तगू होने लगी
रंज की जब गुफ्तगू होने लगी
रंज की जब गुफ्तगू होने लगी
आप से तुम तुम से तू होने लगी
रंज की जब गुफ्तगू होने लगी
रंज की जब गुफ्तगू होने लगी
आप से तुम तुम से तू होने लगी
रंज की जब गुफ्तगू होने लगी

चाहिए पैगाम बार दोनो तरफ
चाहिए पैगाम बार दोनो तरफ
लुत्फ़ क्या जब डू-बा-डू होने लगी
आप से तुम तुम से तू होने लगी
रंज की जब गुफ्तगू होने लगी

मेरी रुसवाई की नौबत आ गई
मेरी रुसवाई की नौबत आ गई
उनकी शोहरत कू-बा-कू होने लगी
आप से तुम तुम से तू होने लगी
रंज की जब गुफ्तगू होने लगी

ना-उमीदी बढ़ गई है इस कदर
ना-उमीदी बढ़ गई है इस कदर
आरज़ू की आरज़ू होने लगी
आरज़ू की आरज़ू होने लगी
अबके मिल कर देखिए क्या राग हो
फिर हमारी जूसतजू होने लगी
‘दाग’ इतराए हुए फिरते है आज
शायद उनकी आबरू होने लगी
आप से तुम तुम से तू होने लगी
रंज की जब गुफ्तगू होने लगी

Written by:
GHULAM ALI

Publisher:
Lyrics © Universal Music Publishing Group

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