Anup Jalota - Fasle Aise Bhi Honge
फ़ासले ऐसे भी होंगे ये कभी सोचा ना था
फ़ासले ऐसे भी होंगे ये कभी सोचा ना था
सामने बैठा था मेरे और वो मेरा ना था
फ़ासले ऐसे भी होंगे
होके खुसबू की तरह फैला था मेरे चर्सो
होके खुसबू की तरह फैला था मेरे चर्सो
मैं उसे महसूस कर सकता था च्छुन सकता ना था
मैं उसे महसूस कर सकता था च्छुन सकता ना था
फ़ासले ऐसे भी होंगे
रात भर पिच्छली सी आहत कान में आती रही
रात भर पिच्छली सी आहत कान में आती रही
जांक कर देखा गली में कोई भी आया ना था
जांक कर देखा गली में कोई भी आया ना था
फ़ासले ऐसे भी होंगे
खुद चढ़ा रखे थे टन पर अजनबी अटके गिलाफ
खुद चढ़ा रखे थे टन पर अजनबी अटके गिलाफ
वरना एक दूसरे को हुँने पहचाना ना था
वरना एक दूसरे को हुँने पहचाना ना था
सामने बैठा था मेरे और वो मेरा ना था
फ़ासले ऐसे भी होंगे
Written by:
ANUP JALOTA, NADEEM
Publisher:
Lyrics © Universal Music Publishing Group
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