Jagjit Singh - Shola Hoon
शोला हूं भडकने की
गुजरिश नहीं करता
शोला हूं भडकने की
गुजरिश नहीं करता
शोला हूं भडकने की
गुजरिश नहीं करता
सच मुं से निकला जाता है
सच मुं से निकला जाता है
कोषिश नहीं करता
शोला हूं भडकने की
गुजरिश नहीं करता
गिरती हुई दीवार का
हमदर्द हूं लेकिन
गिरती हुई दीवार का
हमदर्द हूं लेकिन
चढ़ते हुए सूरज किस
चढ़ते हुए सूरज किस
परस्थीश नहीं करता
शोला हूं भडकने की
गुजरिश नहीं करता
माथे के पासिन किस
महक आए ना जायसी
वो ख़ून मेरे जिस्म में
वो ख़ून मेरे जिस्म में
गरदीश नहीं करता
शोला हूं भडकने की
गुजरिश नहीं करता
शोला हूं
हमदर्द ये एहबाब से
दार्ता हूं मुजफ्फर
हमदर्द ये एहबाब से
दार्ता हूं मुजफ्फर
मैं ज़ख्म से रक्ता हूं
मैं ज़ख्म से रक्ता हूं
नुमाइश नहीं करता
शोला हूं भडकने की
गुजरिश नहीं करता
सच मुं से निकला जाता है
कोषिश नहीं करता
शोला हूं भडकने की
गुजरिश नहीं करता
शोला हूं
Written by:
Jagjit Singh, Muzaffar Warsi (Pak)
Publisher:
Lyrics © Royalty Network
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