Dhvani Bhanushali and Javed Ali - Parda Daari
तू है मेरा मैं तेरी
फिर काहे की पर्दा दारी है
रंग तेरा
हो रंग तेरा ऐसा चढ़ा के
मेरे रंग पे भारी है
रंग तेरा ऐसा चढ़ा के
मेरे रंग पे भारी है
बेवजह ही तो नहीं है
मेरा तुमपे मरना
कह रही है दुनिया
तेरा मेरा वास्ता है सदियों का
मेरे लिए तू हवा का मीठा झोका
तेरे बिना सुबह होती है कहीं
और दिन कहीं है ढलता
तू है मेरा मैं तेरी
फिर काहे की पर्दा दारी है
रंग तेरा
हो रंग तेरा ऐसा चढ़ा के
मेरे रंग पे भारी है
रंग तेरा ऐसा चढ़ा के
मेरे रंग पे भारी है
जन्मों के दोरी से बांधा है
प्यार का ये बंधन
पूरी कायनात मैं एक तुहि मेरे काबिल
तुझ को पलकों पे बैठाऊ क तुझे
यादो मैं सजाउ
खयालतो मैं जज्बातो मैं
तेरा आस्क मैं छुपाऊ
तेरे बिना सुबह होती है कहीं
और दिन कहीं है ढलता
हो तू है मेरी में तेरा
फिर काहे की पर्दा दारी है
रंग तेर
हो रंग तेरा ऐसा चढ़ा के
मेरे रंग पे भारी है
रंग तेरा ऐसा चढ़ा के
मेरे रंग पे भारी है
जन्मो की डोरी से बंधा है ये बंधन
तेरी ही धुन गाता रहता
बंजारा मेरा मन
हो तुझको सांसें नज़राना दूँ
के में तुझपे जान वारुं
तेरे दिल को जीत लून मैं
तुझपे सारी दुनिया हारूँ
तेरे बिना सुबह होती है कहीं
और दिन कहीं है ढलता
हो तू है मेरी में तेरा
फिर काहे की पर्दा दारी है
रंग तेरा
हो रंग तेरा ऐसा चढ़ा के
मेरे रंग पे भारी है
रंग तेरा ऐसा चढ़ा के
मेरे रंग पे भारी है
Written by:
Sameer Anjaan
Publisher:
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