Kundan Lal Saigal - Chah Barbaad Karegi Hemen

चाह बर्बाद करेगी
हमें मालूम न था
चाह बर्बाद करेगी
हमें मालूम न था
रट रट ही कटेगी
हमें मालूम न था
रट रट ही कटेगी
हमें मालूम न था

मौत भी हम पे हँसेगी
हमें मालूम न था
ज़िन्दगी रोग बनेगी
हमें मालूम न था
ज़िन्दगी रोग बनेगी
हमें मालूम न था
चाह बर्बाद करेगी
हमें मालूम न था

छायी घनघोर घटा
चाँद सितारे न रहे
वह उम्मीदे न रही
अब वह सहारे न रहे
ग़ैर तो ग़ैर ही थे
वह भी हमारे न रहे
हमपे ऐसी भी पड़ेगी
हमें मालूम न था
हमपे ऐसी भी पड़ेगी
हमें मालूम न था
चाह बर्बाद करेगी
हमें मालूम न था

Written by:
Khumar Barabankvi

Publisher:
Lyrics © Phonographic Digital Limited (PDL)

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Kundan Lal Saigal

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