Lata Mangeshkar and Shailendra Singh - Kehni Hain Do Baaten Tumse
बीमार पद जाओ गए वैसे यह नाटक कैसे
तुम्हे यह नाटक लग रहा है
मैं किसी को देखने क लिए यह सब नहीं कर रही
यह सचाई है
इतने बड़े घराने की लड़की होने पैर भी यह सब क्यों कर रही हो
तुम्हारे एक इशारे पर नौकर यह काम कर सकते है
मुझे सफाई देने की जरूरत नहीं है
लकिन फिर भी तुम्हे बताती हु
युसफ की माँ हमारे यहाँ नौकरी करती थी
बचपन मैं उसी ने मुझे पला
माँ से ज्यादा प्यार किया
जब उस की खुद की बेटी जुली मर गई
कहनी है तुमसे दो बाते
कहूँगा मगर कानो में
वो तुम कहना नहीं किसी से
अपने या बेगानो में
कहनी है तुमसे दो बाते
कहूँगा मगर कानो में
वो तुम कहना नहीं किसी से
अपने या बेगानो में
कानो में तो चोर है कहते
सूरत पे भोने भले अंदर से
कुछ और है क्या
कहनी है
कहते रहो
बात हवाये नूर की है अभी
तुझे मालूम नहीं
तेरी तरह से हर कोई है
जाने मैं मासूम नहीं
कौन सी बात पहले कहु
जीने की या हँसी ख्वाब की
है बात सीधी सी हमसे करो
ये पहेली है क्या आपकी
पास आओ तो फिर हम बताये
ढकने की दो बातें सुनाई
कहनी है तुमसे दो बाते
कहूँगा मगर कानो में
वो तुम कहना नहीं किसी से
अपने या बेगानो में
कानो में तो चोर है कहते
सूरत पे भोने भले अंदर से
कुछ और है क्या तू मेरी है
कहनी है
कहते रहो
दिल की बात है कहना मुश्किल
खवाब की ही बात बताये
इतना प्यारा खवाबो और सपना
भूले से भी भूल न पाये
एक पारी देखी मैंने उतारते
तारो की राह से धीरे धीरे
आँखों में थी चमक नीलम की
थे अँगूठी में भी उसके हिरे
हाथ से उसने अपने उत्तरी
हूबहू सकल सूरत तुम्हारी
उसने पहना ये फिर तुम कहोगे
हो गए होंगे पल भर में जोगी
उसने चाहा होगा जब भी जाना
राह बनके वही रोकि होगी
अरे तूने ये सब कैसे जाना
हाथ अपना जरा दिखाना न न न
अब कहोगे यही है अंगूठी
बात दिल पर मगर है ये झूठी
तुम तो झुटे हो एक नम्बरी
न था सपना न कोई पारी
तुम चले थे हमीं को बनाने
देख के मस्त मौसम सुहाने
कहनी है तुमसे दो बाते
कहूँगा मगर कानो में
वो तुम कहना नहीं किसी से
अपने या बेगानो में
कानो में तो चोर है कहते
सूरत पे खोने वाले अंदर से
कुछ और है क्या
Written by:
ANU MALIK, DAYANATH PANDEY
Publisher:
Lyrics © Royalty Network
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