Talat Aziz - Duniya Kisi Ke Pyar Mein Jannat
दुनिया किसी के प्यार मैं जन्नत से कम नहीं
दुनिया किसी के प्यार मैं जन्नत से कम नहीं
एक दिलरुबा हे दिल मैं जो हूउरों से कम नहीं
दुनिया किसी के प्यार मैं जाननाथ से कम नहीं
दुनिया किसी के प्यार मैं
तुम बादशाह-ए-हुस्न हो हुस्न-ए-जहाँ हो
तुम बादशाह-ए-हुस्न हो हुस्न-ए-जहाँ हो
जान-ए-वफ़ा हो ओर मुहब्बत की शान हो
जलवे तुम्हारे हुस्न के तारों से कम नहीं
दुनिया किसी के प्यार मैं जन्नत से कम नहीं
दुनिया किसी के प्यार मैं
भूऊले से मुस्काराव तो मोती बरस पड़ें
भूऊले से मुस्काराव तो मोती बरस पड़ें
पलकें उठा के देखो तो कलियाँ भी हंस पड़ें
कूशबू तुम्हारी ज़ुलफ किी फूलों से कम नहीं
दुनिया किसी के प्यार मैं जन्नत से कम नहीं
दुनिया किसी के प्यार मैं
देखा तुम्हे तो चाँद भी शर्मा के रह गया
देखा तुम्हे तो चाँद भी शर्मा के रह गया
हमने नज़र मिलाई तो दिल आके बह गया
परच्छाई भी तुम्हारी तो ग़ज़लों से कम नहीं
दुनिया किसी के प्यार मैं जन्नत से कम नहीं
दुनिया किसी के प्यार मैं जन्नत से कम नहीं
एक दिलरुबा हे दिल मैं जो हूउरों से कम नहीं
दुनिया किसी के प्यार मैं जाननाथ से कम नहीं
दुनिया किसी के प्यार मैं हो
Written by:
Daagh, Lal Mohd Iqbal
Publisher:
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