Kishore Kumar and R.D. Burman - Jamuna Ke Jal Mein

जमुना के जाल में
डुबकी लगाए हैं
जमुना के जाल में
डुबकी लगाए हैं
कृष्ण बांके गोपियो के
विस्तार भी चुराए हैं
समझो न अन्जान मुझको
सबकी हैं पहचान
समझो न अन्जान मुझको
सबकी हैं पहचान
जमुना के जाल में
डुबकी लगाए हैं
कृष्ण बांके गोपियो के
विस्तार भी चुराए हैं

झूठे कहीं के

याद करो पहली बार
मुझे कहा मिली थी
मुझे कहा मिली थी
भीगी भीगी सहमि
सहमी बारीश में खड़ी थी
करके इसरा मेरी
गाड़ी रुकवाई थी
तूफा जो तेज हुआ मेरी
बाहों में समायी थी
बोलो आगे बताओ
बताओ न बाबा न
जमुना के जाल में
डुबकी लगाये है
कृष्ण बांके गोपियो के
वस्त्र भी चुराये है
समझो न अन्जान मुझको
सबकी है पहचान
समझो न अन्जान मुझको
सबकी है पहचान
जमुना के जाल में
डुबकी लगाए हैं
कृष्ण बांके गोपियो के
विस्तार भी चुराए हैं

हये जितनी खूबसूरत हैं
उतनी ही जवां हैं
हये जितनी खूबसूरत हैं
उतनी ही जवां हैं
कहो तो मैं बतादू
तेरे दिल कहा कहा हैं
देर बाद मिले हैं
पर रिस्ता पुराण हैं
सबको सुनाडु क्या
जो तेरा अफ़साना हैं
सुना दो सुना दू
बोलो सुना दू
न बाबा न नहीं बोला न
जमुना के जाल में
डुबकी लगाए हैं
कृष्ण बांके गोपियो के
वस्त्र भी चुराये है
समझो न अन्जान मुझको
सबकी है पहचान
समझो न अन्जान मुझको
सबकी है पहचान
जमुना के जल में
डुबकी लगाए हैं
कृष्ण बांके गोपियो के
विस्तार भी चुराए हैं

कॉलेज में हम दोनों
साथ साथ पड़े थे
कॉलेज में हम दोनों
साथ साथ पड़े थे
अनजानी राहों पे
एक साथ भाड़े थे
मिलते थे कितनी दीवारें रोज़ तोड़ कर
छोड़ा था कॉलेज
हमने यादगार छोड़ कर
जमुना के जाल में
डुबकी लगाए हैं
विस्तार भी चुराए हैं
समझो न अन्जान मुझको
सबकी हैं पहचान
समझो न अन्जान मुझको
सबकी है पहचान
जमुना के जाल में
डुबकी लगाए हैं
कृष्ण बांके गोपियो के
विस्तार भी चुराए हैं

Written by:
M G Hashmat, R D Burman

Publisher:
Lyrics © Royalty Network

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Kishore Kumar and R.D. Burman

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