Suresh Wadkar, Hariharan, Anup Jalota and Shailendra Singh - Foot-Pathon Ke Hum
फुटपातों के हम रहने वाले
फुटपातों के हम रहने वाले
रातों ने पाला हम वो उजाले
रातों ने पाला हम वो उजाले
आकाश सर पे पैरों तले
है डोर तक ये ज़मीई
आकाश सर पे पैरों तले
है डोर तक ये ज़मीई
और तो अपना कोई नहिीन
और तो अपना कोई नहिीन
फुटपातों के हम रहने वाले
फुटपातों के हम रहने वाले
कोइ नहिीन ना सहीी
हम क्यूँ आँसूऊ बहाएँ
दुनिया जले तो जले
हम तुम मस्ती में गाएँ
कोइ नहिीन ना सहीी
हम क्यूँ आँसूऊ बहाएँ
दुनिया जले तो जले
हम तुम मस्ती में गाएँ
घाम से निकल भूऊल के चल
क्या होगा कल
अपना वहीी, इस पल में
जो हैयाहीनौर तो
अपना वहीी इस पल में
जो हैयाहीनौर तो
और तो अपना कोई नहिीन
और तो अपना कोई नहिीन
फुटपातों के हम रहने वाले
फुटपातों के हम रहने वाले
मा नहिीन बाप नहिीन
जैसे जिएं पाप नहिीन
मा नहिीन बाप नहिीन
जैसे जिएं पाप नहिीन
ना कोइ घर ना कोइ दर
है पास क्या जिसका हो दर
ना कोइ घर ना कोइ दर
है पास क्या जिसका हो दर
ना मंज़िल है ना साहिल है
हम हैं दिल है
ये दिल हमें, ले जाए
चाहे कहीनौर तो
ये दिल हमें, ले जाए
चाहे कहीनौर तो
और तो अपना कोई नहिीन
और तो अपना कोई नहिीन
फुटपातों के हम रहने वाले
फुटपातों के हम रहने वाले
हों बचपन में खेले गम से
निर्धन घरों के बेटे
फूलों किी सेज नहिीन
काँटों पे हम हैं लेते
बचपन में खेले गम से
निर्धन घरों के बेटे
फूलों किी सेज नहिीन
काँटों पे हम हैं लेते
भूखे रहे हैं गम सहीी
दिल ये कहे
रोटी जहाँ, है स्वर्ग अपना वहिीन
रोटी जहाँ, है स्वर्ग अपना वहिीन
और तो अपना कोई नई
और तो अपना कोई नई
फुटपातों के हम रहने वाले
फुटपातों के हम रहने वाले
रातों ने पाला हम वो उजाले
रातों ने पाला हम वो उजाले
आकाश सर पे पैरों तले
है डोर तक ये ज़मीई
आकाश सर पे पैरों तले
है डोर तक ये ज़मीई
और तो अपना कोई नहिीन
और तो अपना कोई नहिीन
फुटपातों के हम रहने वाले
फुटपातों के हम रहने वाले.
Written by:
Hridaynath Mangeshkar, Akhtar Javed
Publisher:
Lyrics © Royalty Network
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