Ustad Ali Ahmed Hussain and मोहम्मद हुसैन - Aaine Se Kab Talak Tum Apna Dil

आईने से कब तलाक़ तुम
अपना दिल बहेलाओगे
आईने से कब तलाक़ तुम
अपना दिल बहेलाओगे
आएँगे जब जब अंधेरे
खुद को तन्हा पाओगे
आईने से कब तलाक़ तुम
अपना दिल बहेलाओगे

हर हसीन मंज़र से
यारो फ़ासले कायम रखो
हर हसीन मंज़र से
यारो फ़ासले कायम रखो
चाँद अगर धरती पर
उतरा देख के दर कर जाओगे
आईने से कब तलाक़ तुम
अपना दिल बहेलाओगे

आरज़ू अरमान खावहिश
जूस्तजू वादे वफ़ा
आरज़ू अरमान खावहिश
जूस्तजू वादे वफ़ा
दिल लगा कर तुम ज़माने
भर के धोखे खाओगे
आईने से कब तलाक़ तुम
अपना दिल बहेलाओगे

ज़िंदगी के चाँद लम्हे
खुद की खातिर भी रखो
ज़िंदगी के चाँद लम्हे
ज़िंदगी के चाँद लम्हे
खुद की खातिर भी रखो
भीढ़ में ज़्यादा रहे
तो खुद भी गुम हो जाओगे
आईने से कब तलाक़ तुम
अपना दिल बहेलाओगे
आएँगे जब जब अंधेरे
खुद को तन्हा पाओगे
आईने से कब तलाक़ तुम
अपना दिल बहेलाओगे.

Written by:
AHMED HUSSAIN, DINESH THAKUR, MOHAMMAD HUSSAIN

Publisher:
Lyrics © Royalty Network

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Ustad Ali Ahmed Hussain and मोहम्मद हुसैन

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