Mohammed Aziz and Anuradha Paudwal - Jab Jab Miyan Bibi Mein
जब मिया बीवी में तकरार
होती हैं तकरार होती हैं
मियां बहार होता हैं
बीवी अंदर सोती हैं
मियां बहार होता हैं
बीवी अंदर सोती हैं
ऐसा ही होता हैं जब तकरार
होती हैं तकरार होती हैं
मियां बहार होता हैं
बीवी अंदर सोती हैं
मियां बहार होता हैं
बीवी अंदर सोती हैं
जब मिया बीवी में तकरार
होती हैं तकरार होती हैं
खिड़की खोल खोल दरवाजा
गुस्सा न कर बहार आजा
खिड़की खोल खोल दरवाजा
गुस्सा न कर बहार आजा
जैसे कहे मै तुझे मनाऊ
तेरे नखरे सभी उठाऊ
सारी पिछली बातें भुला दे
पुरे करूँगा सारे वादे
मेरा कब इंसाफ करेगी
मेरा कब इंसाफ करेगी
कब तू मुझको माफ़ करेगी
जान बुझके जब ऐसी तकरार
होती हैं तकरार होती है
समझने की हर
कोशिश हाँ यूँ बेकार होती हैं
समझने की हर
कोशिश हाँ यूँ बेकार होती हैं
जब मिया बीवी में तकरार
होती हैं तकरार होती हैं
ऐसे शौहर से तंग आई
कभी मोहब्बत कभी लड़ाई
ऐसे शौहर से मैं तंग आई
कभी मोहब्बत कभी लड़ाई
जानू मैं सब तेरे इरादे
झूठे हैं सब तेरे वादे
तूने कितना मुझे सताया
तूने कितना मुझे रुलाया
इक इक बात का बदला लूंगी
इक इक बात का बदला लूंगी
फिर मै तुझसे माफ् करुंगी
नोक झोंक तोह प्यार में
सौ बार होती हैं
सौ बार होती हैं
प्यार और बढ़ता हैं
जब तकरार होती हैं
प्यार और बढ़ता हैं
जब तकरार होती हैं
ऐसा ही होता हैं जब तकरार
होती हैं तकरार होती हैं
बहार गुस्सा अंदर प्यार
तौबा मैं गयी तुमसे हार
बहार गुस्सा अंदर प्यार
तौबा मैं गयी तुमसे हर
अब्ब न होगी कभी लड़ाई
तब न होगी कभी जुदाई
एक दूजे पे जान लुटाएं
एक दूजे पे जान लुटाएं
अब्ब हम साथ जिए मर जाये
प्यार में किसीकी जित न तोह
हार होती हैं न
तोह हार होती हैं
प्यार भरी तकरार की
मंज़िल तोह प्यार होती हैं
प्यार भरी तकरार की
मंज़िल तोह प्यार होती हैं
जब मिया बीवी में तकरार
होती है तकरार होती है
मियां अंदर होता हैं
बीवी भी अंदर होती हैं
मियां अंदर होता हैं
बीवी भी अंदर होती हैं
मियां अंदर होता हैं
बीवी भी अंदर होती हैं
Written by:
LAXMIKANT KUDALKAR, SHARMA PYARELAL, SAMEER
Publisher:
Lyrics © Universal Music Publishing Group
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