Anup Jalota - Dukh Mein Mat Ghabrana Panchhi
दुःख से मत घबराना पंछी
ये जग दुःख का मेला है
चाहे भीड़ बहुत अम्बर पर
उड़ना तुझे अकेला है
दख से मत घबराना पंछी
ये जग दुख का मेला है
चाहे भीड़ बहुत अंबर पर
उड़ना तुझे अकेला है
नन्हे कोमल पंख ये तेरे
और गगन की ये दूरी
बैठ गया तो होगी कैसे
मन की अभिलाषा पूरी
उसका नाम अमर है जग में
जिसने संकट झैला है
चाहे भीड़ बहुत अंबर पर
उड़ना तुझे अकेला है
दुःख से मत घबराना पंछी
ये जग दुःख का मेला है
चाहे भीड़ बहुत अम्बर पर
उड़ना तुझे अकेला है
चतुर शिकारी ने रखा है
जाल बिछा के पग पग पर
फँस मत जाना भूल से पगले
पछताएगा जीवन भर
लोभ में दाने के मत पड़ना
बड़े समझ का खेला है
चाहे भीड़ बहुत अंबर पर
उड़ना तुझे अकेला है
दुःख से मत घबराना पंछी
ये जग दुःख का मेला है
चाहे भीड़ बहुत अम्बर पर
उड़ना तुझे अकेला है
जब तक सूरज आसमान पर
चढ़ता चल तू चलता चल
घिर जाएगा अंधकार जब
बड़ा कठिन होगा पल पल
किसे पता की उड़ जाने की
आ जाती कब बेला है
चाहे भीड़ बहुत अंबर पर
उड़ना तुझे अकेला है
दुःख से मत घबराना पंछ
ये जग दुःख का मेला है
चाहे भीड़ बहुत अम्बर पर
उड़ना तुझे अकेला है
दुख से मत घबराना पंछी
ये जग दुःख का मेला है
चाहे भीड़ बहुत अम्बर पर
उड़ना तुझे अकेला है
Written by:
HARISH CHANDRA, ANUP JALOTA
Publisher:
Lyrics © Universal Music Publishing Group
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