Kundan Lal Saigal - Gham Diya Mustaquil

ग़म दिए मुस्तक़िल
कितना नाज़ुक है दिल
ओ न जाना
हाय हाय ये ज़ालिम ज़माना
दे उठे दाग लो उनसे
महलो कह सुनाने
हाय हाय ये ज़ालिम ज़माना

दिल के हाथों से
दामन छुड़ाकर
ग़म की नज़रों से
नज़रे बचाकर
दिल के हाथों से
दामन छुड़ाकर
ग़म की नज़रों से
नज़रे बचाकर
उठाके वह चल दिए
कहते ही रह गए हम फ़साना
हाय हाय ये ज़ालिम ज़माना

कोई मेरी ये रूदाद देखे
ये मोहब्बत की बेदाद देखे
कोई मेरी ये रूदाद देखे
ये मोहब्बत की बेदाद देखे
फूँक रहा है जिगर
पड़ रहा है मगर मुस्कुराना
हाय हाय ये ज़ालिम ज़माना
ग़म दिए मुस्तक़िल
कितना नाज़ुक है दिल
हाय हाय ये ज़ालिम ज़माना

Written by:
Majrooh Sultanpuri

Publisher:
Lyrics © Phonographic Digital Limited (PDL), Raleigh Music Publishing LLC, Royalty Network

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Kundan Lal Saigal

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