Vishal Chandrashekhar, Shashwat Singh and Mandar Cholkar - Dil Se Dil
दिल से दिल मिल गये है तो
चाहिए फिर इस दिल को क्या
जादू है मीठी बातों का
जिसने धड़कन को ही छू लिया
कवि की कल्पना या कोई आईना
या धुन्धला सपना जिससे चहेरा मिल गया
या जैसे तितली लुटाए उड़े हो मस्तियाँ
वो ताज़गी है जिससे फूल भी जले
चमक से चाँद भी ढले
है सादगी जैसे लोरी हो कोई
वो जैसे चाँदनी खिले
बोले बाँसुरी सी सबनम सिंदूरी सी
घुल जाए हवाओं में
हल्की बारीशों सी गहेरी ख्वाहीशौं सी
इतराये अदाओं में
लहराए जो चुनर तो जैसे नदिया लगे
शर्मीली इस उमर पे छाए खुशियाँ लगी
भरे जो सूरमा शहीद करे सूरमा काई
वो ताज़गी है जिससे फूल भी जले
चमक से चाँद भी ढले
है सादगी जैसे लोरी हो कोई
वो जैसे चाँदनी खिले
योवन के झड़ी सी मलमल के लड़ी सी
मूरत संग मरमरी
झरते मोतियो सी जड़ते आदतो सी
बिज़ली जैसी मनचली
युगों युगों से सीता का मैं राम बनू
मेहंदी की नकासीयो में छुपा नाम बनू
मैं फिर से थाम लूँ
वो हाथ वोही है दुआ यही
वो ताज़गी है जिससे फूल भी जले
चमक से चाँद भी ढले
है सादगी जैसे लोरी हो कोई
वो जैसे चाँदनी खिले
Written by:
Mandar Cholkar
Publisher:
Lyrics © Sony/ATV Music Publishing LLC
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