Kishore Kumar and Laxmikant Pyarelal - Kahan Ja Raha Tha
कहाँ जा रहा था
कहाँ आ गया हूँ
कहाँ जा रहा था
कहाँ आ गया हूँ
ना मुझको पता हैं
ना दिल को ख़भेर हैं
कोई खिड़ा ना
कोई इंतहा हैं
सेफर यह मोहब्बत का
कैसा सेफर हैं
कहाँ जा रहा था
कहाँ आगेया हूँ
कहाँ जा रहा था
वो रंगीन नगमा
कहा खो गया हैं
वो रंगीन नगमा
कहा खो गया हैं
मेरा साज़ खामोस
क्यो हो गया हैं
वो जेज्बा जो मुस्किल से
मैने जगाया
वो फिर जागते जागते
सो गया हैं
ना जॉहका हवा का
ना फेली सी खुश्बू
ये फूलो की बस्ती
या कतो का घर हैं
कहाँ जा रहा था
कहाँ आ गया हूँ
कहाँ जा रहा था
कहाँ आ गया हूँ
कहाँ जा रहा था
वो जिस के लिए
ये अंधेरे खरीदे
वो जिस के लिए
ये अंधेरे खरीदे
उजाले की कीमत भी
उस को बता डून
कभी ज़िंदगी की
दुआ दी थी जिसको
उसे बेवेफ़ाई की
क्या मैं सज़ा डून
उसे बेवेफ़ाई की
क्या मैं सज़ा डून
सज़ा डून सज़ा डून
यहा से ना आने
ना जाने का रास्ता
मगेर क़त्ल के
वास्ते रहे हैं गुजर
मगेर क़त्ल के
वास्ते रहे हैं गुजर
मगेर क़त्ल के
वास्ते रहे हैं गुजर.
Written by:
Laxmikant Pyarelal, Rajinder Krishnan
Publisher:
Lyrics © Royalty Network
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