Jagjit Kaur - Khamosh Zindagi Ko

खामोश ज़िंदगी को ओ
खामिश ज़िंदगी को इक अफ़साना मिल गया
अजी अफ़साना मिल गया
भावरे को फूल शम्मा को परवाना मिल गया
अजी परवाना मिल गया
खामोश ज़िंदगी को ओ

ओ दिल मे खुमरिया सी
हसती जूबा पे गीत हो हसती जूबा पे गीत हो
दीवानगी मे कों ये दीवाना मिल गया
अजी दीवाना मिल गया
भावरे को फूल शम्मा को परवाना मिल गया
अजी परवाना मिल गया

ओ सबका है दिल के होश मे
आने के दिन गये आने के दिन गये
आए बाहर शीशे से पैमाना मिल गुया
अजी पैमाना मिल गया
भावरे को फूल शम्मा को परवाना मिल गया
अजी परवाना मिल गया

ओ लाया है कोई मेरे लिए
दिल की धड़कने दिल की धड़कने
नज़ारो के चार होते ही नज़राना मिल गया
अजी नेजरना मिल गया
भावरे को फूल शम्मा को परवाना मिल गया
अजी परवाना मिल गया
खामोश ज़िंदगी को ओ
खामिश ज़िंदगी को इक अफ़साना मिल गया
अजी अफ़साना मिल गया
भावरे को फूल शम्मा को परवाना मिल गया
अजी परवाना मिल गया

Written by:
GHULAM MUHAMMED, SHAKEEL BADAYUNI

Publisher:
Lyrics © Royalty Network

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Jagjit Kaur

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