Chitra Singh - Aankh Se Aankh Mila

आँख से आँख मिला बात बनाता क्यूँ है
आँख से आँख मिला बात बनाता क्यूँ है
तू अगर मुझसे खफा है तो छुपाता क्यूँ है
आँख से आँख मिला बात बनाता क्यूँ है

गैर लगता है ना अपनों की तरह मिलता है
गैर लगता है ना अपनों की तरह मिलता है
गैर लगता है ना अपनों की तरह मिलता है
तू जमाने की तरह मुझको सताता क्यूँ है

वक़्त के साथ खयालात बदल जाते हैं
वक़्त के साथ खयालात बदल जाते हैं

वक़्त के साथ खयालात (वक़्त के साथ खयालात)
बदल जाते हैं ये हकीकत है (बदल जाते हैं ये हकीकत है)

मगर मुझको सुनाता क्यूँ है

एक मुद्दत से जहां काफिले गुज़रे ही नहीं
एक मुद्दत से जहां काफिले गुज़रे ही नहीं
एक मुद्दत से जहां काफ़िले गुज़रे ही नहीं
ऐसी राहों ऐ चरागों को जलाता क्यूँ है
तू अगर मुझसे खफा है तो छुपाता क्यूँ है
आँख से आँख मिला बात बनाता क्यूँ है

Written by:
JAGJIT SINGH, SAEED RAHI

Publisher:
Lyrics © Royalty Network

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Chitra Singh

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