Kishore Kumar and अमीन सयानी - Aararam Tararam [Commentry]
अच्छा १९६५ मैं एक और फिल्म थी आवाज
आरा राम तारा राम
आरा राम तारा राम
दुनिया के कैसे कैसे घम
कहीं ज़्यादा कहीं कम
कहीं ज़्यादा कहीं कम
कहीं ज़्यादा कहीं कम
हा हा हा हा हा
कोई कहे मेरा पिया घर आए ना
किसी का निखहट्टू मियाँ पैसा लाए ना
लाले को ये दर पैसा कोई खाए ना
अरे बुड्ढे को फिकर बुद्धि भाग जाए ना
ज़ख्मी जिगर है, दर् है, फिकर है, सब गड़बड़ है
निकले है दम होते आल्लाह की कसम, वई वई वई
ज़ख्मी जिगर है, दर् है, फिकर है, सब गड़बड़ है
निकले है दम होते आल्लाह की कसम
कहीं ज़्यादा कहीं कम
कहीं ज़्यादा कहीं कम
आरा राम तारा राम दुनिया के कैसे कैसे घम
कहीं ज़्यादा कहीं कम
Written by:
Salil Chowdhury, Zia Sarhady
Publisher:
Lyrics © Royalty Network
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