Chitra Singh - Ab To Uth Sakta Nahin

अब तो उठ सकता नहीं आँखों से बार-ए-इंतज़ार
किस तरह काटे कोई लैल-ओ-नहार-ए-इंतज़ार

उन की उल्फ़त का यक़ीं हो उन के आने की उम्मीद
हों ये दोनों सूरतें तब है बहार-ए-इंतज़ार

मेरी आहें नारसा मेरी दुआएँ ना-कुबूल
या इलाही क्या करूँ मैं शर्मसार-ए-इंतज़ार

उन के ख़त की आरज़ू है उन के आमद का ख़याल
किस क़दर फैला हुआ है कारोबार-ए-इंतज़ार

Written by:
Hasrat Mohani, Jagjit Singh

Publisher:
Lyrics © Royalty Network

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Chitra Singh

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