Udit Narayan and महालक्मी - Ae Ajnabi

ओ पाखी पाखी परदेसी
पाखी पाखी परदेसी
पाखी पाखी परदेसी
पाखी पाखी परदेसी
पाखी पाखी परदेसी
पाखी पाखी परदेसी
ऐ अजनबी तू भी कभी आवाज़ दे कहीं से
ऐ अजनबी तू भी कभी आवाज़ दे कहीं से
मैं यहाँ टुकड़ों में जी रहा हूँ
मैं यहाँ टुकड़ों में जी रहा हूँ
तू कहीं टुकड़ों में जी रही है
ऐ अजनबी तू भी कभी आवाज़ दे कहीं से
ऐ अजनबी तू भी कभी आवाज़ दे कहीं से

रोज़ रोज़ रेशम सी हवा आते जाते कहती है
बता रेशम सी हवा कहती है बता
वो जो दूध धुली मासूम कली
वो है कहाँ कहाँ है वो रोशनी कहाँ है
वो जान सी कहाँ है
मैं अधूरा तू अधूरी जी रही है
ऐ अजनबी तू भी कभी आवाज़ दे कहीं से
ऐ अजनबी तू भी कभी आवाज़ दे कहीं से
मैं यहाँ टुकड़ों में जी रहा हूँ
मैं यहाँ टुकड़ों में जी रहा हूँ
तू कहीं टुकड़ों में जी रही है
ऐ अजनबी तू भी कभी आवाज़ दे कहीं से
पाखी पाखी परदेसी
पाखी पाखी परदेसी
पाखी पाखी परदेसी
पाखी पाखी परदेसी
तू तो नहीं है लेकिन तेरी मुस्कुराहट है
चेहरा कहीं नहीं है पर तेरी आहट है
तू है कहाँ कहाँ है तेरा निशाँ कहाँ है
मेरा जहाँ कहाँ है
मैं अधूरा तू अधूरी जी रही है
ऐ अजनबी तू भी कभी आवाज़ दे कहीं से
ऐ अजनबी तू भी कभी आवाज़ दे कहीं से
मैं यहाँ टुकड़ों में जी रहा हूँ
मैं यहाँ टुकड़ों में जी रहा हूँ
तू कहीं टुकड़ों में जी रही है
ऐ अजनबी तू भी कभी आवाज़ दे कहीं से
ऐ अजनबी तू भी कभी आवाज़ दे कहीं से

Written by:
GULZAR, A. R. RAHMAN

Publisher:
Lyrics © Royalty Network

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Udit Narayan and महालक्मी

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