Bhupinder Singh - Aisi Maddham Si Bolti Hai Raat
दे र अ अ अ अ अ
ए आ आ आ आ आ
ए अ अ अ अ अ
ए आ आ आ आ आ
ऐसी मद्धम
ऐसी मद्धम
ऐसी मद्धम सी बोलती है रात
तेरी आवाज़ घोलती है रात
ऐसी मद्धम सी बोलती है रात
तेरी आवाज़ घोलती है रात
ऐसी मद्धम, ऐसी मद्धम
ऐसी मद्धम, ऐसी मद्धम
किस मे रखी है सुबह की धड़कन
ए अ अ अ अ अ
किस मे रखी है सुबह की धड़कन
किस मे रखी है सुबह की धड़कन
गुँचा गुँचा गुँचा गुँचा
टीटोलते है रात
तेरी आवाज़ घोलती है रात
ऐसी मद्धम, ऐसी मद्धम
ऐसी मद्धम, ऐसी मद्धम
दफ्न है चाँद किस जगह उसका
दफ्न है चाँद
आ आ आ आ आ
दफ्न है चाँद किस जगह उसका
दफ्न है चाँद किस जगह उसका
बंद क़ब्रे, बंद क़ब्रे
बंद क़ब्रे परोती है रात
तेरी आवाज़ घोलती है रात
ऐसी मद्धम, ऐसी मद्धम
ऐसी मद्धम, ऐसी मद्धम
ऐसी मद्धम, ऐसी मद्धम
Written by:
Bhupinder Singh Bath, Gulzar
Publisher:
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