Ustad Rashid Khan - Allah Hi Reham
अल्लाह ही रहें, मौला ही रहें
कैसे इश्क़ से साज गयी राहें, जब से देखी यह तेरी निगाहें
या खुदा मैं तो तेरा हो गया
कैसे इश्क़ से साज गयी राहें, जब से देखी यह तेरी निगाहें
या खुदा मैं तो तेरा हो गया
तू जो करम फरमाये, आदम इंसान हो जाए
मस्ताना होके दीवाना होके, तुझे पल में पा जाए
साँस-ए-फ़िज़ा में तू है, रूह-ए-बया में तू है
हर इक फ़िज़ा में हर इंतेहा में, हर एक नज़र-ए-ज़बान तू है
अल्लाह ही रहें, मौला ही रहें
ओ हर जार्रे में तू है च्छूपा, दिल ढून्दें क्यूँ तेरा पता
तू है धूप में, तू है सायें में
अपने में है तू पराए में, अल्लाह अल्लाह
मेरे रोम रोम की इक अदा, तू है इश्क़ मेरा आई मेरे खुदा
हर साआंस में है बस तेरी दुवा, तू इश्क़ मेरा आई मेरे खुदा
तुझे पाने से बढ़कर कुच्छ भी नही
तुझे देखते ही दिल बोले यहीं, अल्लाह
अल्लाह
कैसे इश्क़ से साज गयी राहें, जब से देखी यह तेरी निगाहें
या खुदा मैं तो तेरा हो गया
तू जो करम फरमाये, आदम इंसान हो जाए
मस्ताना होके दीवाना होके, तुझे पल में पा जाए
साँस-ए-फ़िज़ा में तू है, रूह-ए-बया में तू है
हर इक फ़िज़ा में हर इंतेहा में, हर एक नज़र-ए-ज़बान तू है, तू है
अल्लाह ही रहें, मौला ही रहें
Written by:
NIRANJAN KANNAN IYENGAR, SHANKAR MAHADEVAN, ALOYIUS PETER MENDONSA, EHSAAN NOORANI
Publisher:
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