Prateek Kuhad - Chahe Ya Na Chahe

तेरे सपनो के बादल पे
सुन्दर समां है है महफ़िल जवान
हवाओं ने चीखा है शामिल भी शाम
मुक़द्दर सिकंदर का भी मानना है
के मेरा एक छोटा सा घर है यहां
तू चाहे या न चाहे जान

जो परदे उठे तू कहाँ मैं यहीं हूँ
मैं करवटे बदलता हूँ सोता नहीं हूँ
तू सपनो की रानी मैं रातों का राजा
तू भोली कहानी मैं आंधी का वादा
है किसकी ये मर्ज़ी ये किसने लिखा
तू चाहे या न चाहे जान
तू चाहे या न चाहे जान
तू चाहे या न चाहे जान

आजा समा में तारे न देखे
होश उड़ाने वाले राहें न मिलें
रक्त ही रहे लाल सियाही की चीठी
भीगे कागज़ का अधूरा सूना फ़साना

है लाल नीली पीली ये मन की तरंगें
सब हँसते है मुझपे
फिर जलते सभी हैं
हवाओं ने चीखा है शामिल भी शाम
मुक़द्दर सिकंदर का भी मान न है
के तेरा भी छोटा सा घर है यहां
तू चाहे या न चाहे जान
तू चाहे या न चाहे जान
तू चाहे या न चाहे जान

Written by:
PRATEEK KUHAD

Publisher:
Lyrics © CONCORD MUSIC PUBLISHING LLC

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