Mahendra Kapoor - Chand Bhi Hai Sitare Bhi

चाँद भी है सितारे भी है बज़्म में
चाँद भी है सितारे भी है बज़्म में
जाने क्या राज़ है क्यूँ उजाला नही
छेड़ दी मैने दिल की ये बाते कहा
दिल की बाते कोई सुननेवाला नही
चाँद भी है सितारे भी है बज़्म में

देखके मुझको मूह फेर लेते है सब
मेरा चेहरा ग़रीबी का है इश्तिहा
देखके मुझको मूह फेर लेते है सब
मेरा चेहरा ग़रीबी का है इश्तिहा
अपने सर पे शिकायत अपनी रखे हुए
ठोकरे खाई दुनिया के आगे हज़ार
ठोकरे खाई दुनिया के आगे हज़ार
और किसीने भी बढ़के संभाला नही
दिल की बाते कोई सुननेवाला नही
चाँद भी है सितारे भी है बज़्म में

रात ढलती रही जश्न होता रहा
रात ढलती रही जश्न होता रहा
लोग हस्ते रहे कोई रोता रहा
शुक्रिया किस जूबा से अदा कीजिए
दिल में काटा ज़माना चूभोता रहा
दिल में काटा ज़माना चूभोता रहा
मुझको महफ़िल से लेकिन निकाला नही
दिल की बाते कोई सुननेवाला नही
चाँद भी है सितारे भी है बज़्म में
जाने क्या राज़ है क्यूँ उजाला नही
चाँद भी है सितारे भी है बज़्म में

Written by:
DILIP KUMAR ROY, KAIFI AZMI

Publisher:
Lyrics © Royalty Network

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Mahendra Kapoor

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