Jagjit Singh - Dekha To Mera Saaya Bhi
देखा तो मेरा साया भी मुझसे जुदा मिला
देखा तो मेरा साया भी मुझसे जुदा मिला
सोचा तो हर किसी से मेरा सिलसिला मिला
देखा तो मेरा साया भी मुझसे जुदा मिला
शहर-ए-वफ़ा में अब किसे एहल-ए-वफ़ा कहें
शहर-ए-वफ़ा में अब किसे एहल-ए-वफ़ा कहें
हमसे गले मिला तो वो ही बेवफ़ा मिला
देखा तो मेरा साया भी मुझसे जुदा मिला
सोचा तो हर किसी से मेरा सिलसिला मिला
फ़ुर्सत किसे थी जो मेरे हालात पूछता
फ़ुर्सत किसे थी जो मेरे हालात पूछता
हर शख़्स अपने बारे में कुछ सोचता मिला
देखा तो मेरा साया भी मुझसे जुदा मिला
सोचा तो हर किसी से मेरा सिलसिला मिला
उसने तो ख़ैर अपनों से मोड़ा था मुँह अयाज़
उसने तो ख़ैर अपनों से मोड़ा था मुँह अयाज़
मैंने ये क्या किया के मैं ग़ैरों से जा मिला
मैंने ये क्या किया के मैं ग़ैरों से जा मिला
देखा तो मेरा साया भी मुझसे जुदा मिला
सोचा तो हर किसी से मेरा सिलसिला मिला
Written by:
Ayaz Jhanswi, Jagjit Singh
Publisher:
Lyrics © Royalty Network
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