Bhupen Hazarika and Alka Yagnik - Dheere Se Kuch

धीरे से कुछ बोलो ना
साथ हवा से डोलो ना
चुभाते है खामोशी के कोने
कानो में रस घोलो ना
धीरे से कुछ बोलो ना
साथ हवा से डोलो ना
चुभाते है खामोशी के कोने
कानो में रस घोलो ना
छेड़े चले तितली को
घेरे चले मौसम को
चुप्पी को दे झासा
कहे सुने बाते बुने
सुरीले सन्नाटे सुने आओ
धूप में खिड़की खोलो ना
आज किसी होलो ना
माला जैसे टूट के हास दो
मोटी मोटी टोलो ना

देखो गगन गाने लगा
फुलो में रंग चने लगा
सारी ज़मीन सारा चमन
झूमे झूमे होके मगन
आओ गागरी छलकाए
अरमानो को नहलाए
जीवन एक बताशा
चखले इसे रखले इसे
हातेली से ढकले इसे आ
धीरे से कुछ बोलो ना
साथ हवा से दॉलो ना
चुभाते है खामोशी के कोने
कानो में रस घोलो ना

सावन गुनगुनाने लगा
सागर भी लहराने लगा
उमड़ घूमड़ घनन घनन
भीगे भीगे सुना सा मॅन
बीच भंवर में नया हो
चल जैसे पुरवईया हो
कर ले सीर सपाटा
रुनझुन रुनझुन लहरों की धुन
सुनते चले गाते चले आ
धीरे से कुछ बोलो ना
साथ हवा से डोलो ना
चुभाते है खामोशी के कोने
कानो में रस घोलो ना
हा धीरे से कुछ बोलो ना
साथ हवा से डोलो ना
धीरे से कुछ बोलो ना
साथ हवा से डोलो ना
धीरे से कुछ बोलो ना
साथ हवा से डोलो ना

Written by:
BHUPEN HAZARIKA, PRASOON JOSHI

Publisher:
Lyrics © Sony/ATV Music Publishing LLC

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Bhupen Hazarika and Alka Yagnik

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