Jagjit Singh and चित्रा सिंघ - Mere Dil Mein Tu Hi Tu Hai

मेरे दिल में तू ही तू है दिल की दवा क्या करूँ
मेरे दिल में तू ही तू है दिल की दवा क्या करूँ
दिल भी तू है जाँ भी तू है तुझ पे फ़िदा क्या करूँ
मेरे दिल में तू ही तू है दिल की दवा क्या करूँ
दिल भी तू है जाँ भी तू है तुझ पे फ़िदा क्या करूँ
मेरे दिल में तू ही तू है दिल की दवा क्या करूँ(मेरे दिल में तू ही तू है दिल की दवा क्या करूँ)

खुद को खो के तुझको पा कर क्या क्या मिला क्या कहूँ
तेरी हो के जीने में क्या आया मज़ा क्या कहूँ

कैसे दिन हैं कैसी रातें कैसी फिज़ा क्या कहूँ
मेरी हो के तूने मुझको क्या क्या दिया क्या कहूँ

औ मेरे पहलू में जब तू है फिर मैं दुआ क्या करूँ
दिल भी तू है जाँ भी तू है तुझ पे फ़िदा क्या करूँ
मेरे दिल में तू ही तू है दिल की दवा क्या करूँ(मेरे दिल में तू ही तू है दिल की दवा क्या करूँ)

आ आ आ
ओ ओ ओ

है ये दुनिया दिल की दुनिया मिल के रहेंगे यहाँ
लूटेंगे हम खुशियाँ हर पल दुख ना सहेंगे यहाँ
अरमानों के चंचल धारें ऐसे बहेंगे यहाँ
ये तो सपनों की जन्नत है सब ही कहेंगे यहाँ
ये दुनिया मेरे दिल में बसी है दिल से जुदा क्या करूँ
दिल भी तू है जाँ भी तू है तुझ पे फ़िदा क्या करूँ
मेरे दिल में तू ही तू है दिल की दवा क्या करूँ(मेरे दिल में तू ही तू है दिल की दवा क्या करूँ)
आ आ आ
ओ ओ ओ
आ आ आ
ओ ओ ओ

Written by:
Bappi Lahiri, Azmi Kaifi

Publisher:
Lyrics © Royalty Network

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Jagjit Singh and चित्रा सिंघ

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