Mukesh - Diwano Se Mat Poochho

दीवानों से ये मत पूछो

दीवानों से ये मत पूछो
दीवानों पे क्या गुज़री है
गुज़री है
हाँ उनके दिलों से ये पूछो
अरमानों पे क्या गुज़री है
गुज़री है
दीवानों से ये मत पूछो

औरों को पिलाते रहते हैं
और ख़ुद प्यासे रह जाते हैं
औरों को पिलाते रहते हैं
और ख़ुद प्यासे रह जाते हैं
ये पीने वाले क्या जाने
पैमानों पे क्या गुज़री है
गुज़री है
दीवानों से ये मत पूछो

मालिक ने बनाया इनसाँ को
इनसान मुहब्बत कर बैठा
मालिक ने बनाया इनसाँ को
इनसान मुहब्बत कर बैठा
वो ऊपर बैठा क्या जाने
इनसानों पे क्या गुज़री है
गुज़री है
हाँ उनके दिलों से ये पूछो
अरमानों पे क्या गुज़री है
गुज़री है
दीवानों से ये मत पूछो

Written by:
ANANDJI KALYANJI, Qamar Jalalabadi, ANANDJI V SHAH, KALYANJI VIRJI SHAH, QAMAR JALALABADI

Publisher:
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