रुना लैला, Bhupinder Singh and Raahi - Do Deewane Shaher Mein [LoFi Flip]

दो दीवाने शहर में(दो दीवाने शहर में)
रात में और दोपहर में(रात में और दोपहर में)
आब-ओ-दाना
आब-ओ-दाना ढूँढते हैं
इक आशियाना ढूँढते हैं
आब-ओ-दाना ढूँढते हैं
इक आशियाना ढूँढते हैं
दो दीवाने शहर में(दो दीवाने शहर में)
रात में और दोपहर में(रात में और दोपहर में)
आब-ओ-दाना ढूँढते हैं(आब-ओ-दाना ढूँढते हैं)
इक आशियाना ढूँढते हैं(इक आशियाना ढूँढते हैं)
दो दीवाने(दो दीवाने)

इन भूल-भुलइया गलियों में, अपना भी कोई घर होगा
अम्बर पे खुलेगी खिड़की या, खिड़की पे खुला अम्बर होगा
इन भूल-भुलइया गलियों में, अपना भी कोई घर होगा
अम्बर पे खुलेगी खिड़की या, खिड़की पे खुला अम्बर होगा
असमानी रंग की आँखों में
असमानी या आसमानी
असमानी रंग की आँखों में
बसने का बहाना ढूंढते हैं, ढूंढते हैं
आब-ओ-दाना ढूँढते हैं
इक आशियाना ढूँढते हैं
दो दीवाने शहर में(दो दीवाने शहर में)
रात में और दोपहर में(रात में और दोपहर में)
आब-ओ-दाना ढूँढते हैं(आब-ओ-दाना ढूँढते हैं)
इक आशियाना ढूँढते हैं(इक आशियाना ढूँढते हैं)
दो दीवाने(दो दीवाने)

Written by:
Gulzar, Jaidev

Publisher:
Lyrics © Royalty Network

Lyrics powered by Lyric Find

रुना लैला, Bhupinder Singh and Raahi

View Profile